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पीर पहाड़

कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड में अवस्थित पीर पहाड़ पर एतिहासिक "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह" का मजार अवस्थित है ! यह मनिहारी रेलवे स्टेशन से लगभग 50m की दुरी पर स्तिथ है !लगभग 60 फिट ऊँचे इस एतिहासिक पहाड़ पर सन 1338 ई० में पीर मजार के भवन का निर्माण कराया गया ! ऐसा माना जाता है कि, मनिहारी निवासी स्व० अतुल मुखर्जी ने यहाँ आकर कुछ मन्नतें मांगी थी ! उन्होंने कहा था कि, यदि मेरी मुराद पूरी हो जाएगी तो मैं बाबा के मजार पर भवन का निर्माण प्रशंतापुर्वक करवाऊंगा ! बाबा कि महिमा अपरमपार थी उनकी मुरादें पूरी हो गयी, तो उन्होंने अपने कथनानुसार सन 1338  ई० भवन का निर्माण पीर पहाड़ पर करवाया, जो मनिहारी के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया ! तभी से लेकर आज तक लोग यहाँ आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं, एक रस्म के अनुसार यहाँ आनेवाले पत्थर के टुकरे को कपडे से बांध कर अपनी मन्नतें मांगतें हैं, और जब उनकी मुराद पूरी होती है,तो वो पुनः आतें हैं और प्रसाद,चादर इत्यादि चढातें है ! यहाँ के सेवक(खादिम )मो० सफिउद्दीन  हैं, जो यहाँ के देखरेख करतें हैं ! रास्ट्रीय सम विकाश योजना से पीर मजार पर प्रशाल, सीढ़ी एवं सुरक्षात्मक  कार्य 07-11-2010 को संपन्न हुआ ! 
            इस मजार  पर हर जाति, हर धर्म के लोग सालों भर आते रहतें हैं ! इस मजार सरीफ का हर वर्ष सालाना उर्स मुबारक 25 सव्वल को मनाया जाता है, जिसमे कव्वाली और जलसा का भी आयोजन होता है !उत्तरी बिहार के सबसे ऊँचा इस पहाड़  पर  प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण अनेक पेड़ हैं ! यहाँ अधिकतर इमली, आम, और अनेक प्रकार के जड़ी-बूटियों के पोधें हैं ! इसके पीछे लगभग 40 मी० दुरी से गंगा नदी बहती है ! सावन के महीने में "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह" के मजार को गंगा नदी छु कर गुजरती है,जो इसके सुन्दरता को और बढ़ा देती  है ! पीर मजार के पीछे साईड से निचे में गुफा जैसा बना हुआ है, जिसमे से चुना पत्थर खल्ली निकलता था ! पीर मजार के सामने एक एतिहासिक कुआं है, उस कुआं का पानी जैसे मुख में लेतें हैं पानी मीठा होने के कारण मन को शांति  मिलती है ! इसके सटे हुए बी0 पी0 एस0 पी० उच्च विद्यालय अवस्थित है !  
                                                                  प्रेसक 
                                                                टिंकू कुमार   
                                                             लेखन सहयोगी   
                                          प्रदीप,गोविन्द,उत्तम कुमार और गोपाल जयसवाल
                                         









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Author & Editor

Tinku Kumar Choudhary.